शादी में मिली अनछुई चूत- 2

एक कुंवारी देसी लड़की की चुदाई की स्टोरी में पढ़ें कि कैसे मैंने अपने दोस्त की एक रिश्तेदार लड़की को दोस्त के घर में चोदा. लड़की ने मेरा साथ कैसे दिया? मजा लें.

देसी लड़की की चुदाई की स्टोरी के पिछले भाग
शादी में मिली अनछुई चूत- 1
में आपने पढ़ा कि कैसे मुझे दोस्त के भाई की शादी में एक लड़की मिली. मैंने उसके जिस्म के साथ काफी मौज मस्ती की लेकिन मैं उसे चोद नहीं पाया था.
चुदाई की स्टोरी के इस भाग में पढ़ें कि मैंने उसे पहली बार कैसे चोदा.

मुँह-हाथ धोकर मैं शादी के कामकाज में लग गया। वहाँ फिर ज़्यादा कुछ नहीं हो पाया. मिनी भी मेरे आसपास ही मँडराती रही.
पर मैं दोस्तों के बीच इतना मशरूफ रहा कि उसकी तरफ ध्यान नहीं दे सका।
सुबह जल्दी ही वापसी भी होनी थी।

वापसी में मेरे दोस्त ने मुझसे भाई-भाभी (नई वाली) के साथ कार से ही चले जाने को कह दिया तो मैं कार से वापस आ गया।
रास्ते में भाभीजी से भी हल्की फुल्की मज़ाक कर देता था तो भाभीजी भी मुस्करा देतीं।
इन भाभीजी को भी मैंने बाद में चोदा पर वह कहानी बाद में सुनाऊँगा।

घर पहुँचकर भाई साहब भाभी को स्त्रियों के ठहरने की जगह पर छोड़कर नीचे आ गए और मेरे साथ टी वी देखने लगे।
अत्यधिक थका होने के कारण मुझे झपकी लग गयी।

लगभग एक घण्टे के बाद जब मेरी आँख खुली तो मैंने देखा कि उस कमरे में मेरे तथा मिनी के अलावा और कोई नहीं है।
मिनी मेरे बिल्कुल बगल में बैठी थी और शिकायत भरी नजरों से मुझे देख रही थी क्योंकि मैं उसे बताकर नहीं आया था।

मिनी को सांत्वना देने के लिए मैंने अपने हाथ से उसकी चूची को दबाना शुरू कर दिया। वो अपलक मेरी ओर शिकायती नज़रों से देखे जा रही थी।
धीरे-धीरे उसकी आँखें भी नशीली होने लगीं.

तभी बाहर कुछ सामान रखने की आवाज़ें आईं। हम लोग समझ गए कि शादी में मिला सामान रखवाया जा रहा है।

मिनी भी मेरे पास से हट गई और मैं भी थका होने के कारण करवट बदलकर सो गया।

फिर मेरी आँख लगभग 2:30 बजे खुली। आसपास देखा तो सब लोग बड़ी गहरी नींद में सो रहे थे।

मैं उठा और हर कमरे का मुआयना किया। हर कमरे में आदमी या औरतें अस्त-व्यस्त गहरी नींद सो रहे थे।

सभी लोग 24 घण्टों से भी ज़्यादा समय तक लगातार जागे थे इसलिए सबको गहरी नींद आ जाना कोई असामान्य बात नहीं थी।

जब मुझे तसल्ली हो गयी कि सब लोग बहुत गहरी नींद में हैं तब मैंने मिनी को ढूँढ़ा।

मिनी एक कमरे में 5-6 लड़कियों के साथ सोई पड़ी थी। पहले मैंने हर लड़की को एक-एक मिनट तक निहारा ताकि यह पक्का हो जाये कि सब वास्तव में सो रही हैं।

तसल्ली हो जाने पर मैं मिनी के पास आकर बैठ गया। उसे हिलाकर उठाने की कोशिश की।
उसकी चुदाई का बढ़िया मौका था इसलिए उसे उठाना ज़रूरी था. पर वह उठ नहीं रही थी।

फिर मैंने एक जोखिम उठाया। मैंने उसका लहँगा सरकाकर उसकी कमर से ऊपर कर दिया फिर उसकी पैंटी भी उतारकर नीचे एड़ियों तक कर दी।
मैंने आराम से उसकी दोनों जाँघों को चाटा।

इतना करने से भी मिनी की नींद नहीं खुली. यानि कि वह गहरी नींद में थी।

उसके बाद मैंने उसकी चोली के हुक खोल दिये। उसकी चूचियाँ उछलकर बाहर आ गईं।
अब मैंने दोनों हाथों से उसकी दोनों चूचियाँ दबाईं. फिर उसकी एक चूची अपने मुँह में भरकर उसे बेतहाशा उसका निप्पल चूसने लगा।

साथ ही मैंने अपनी उँगली भी उसकी बुर में चलानी शुरू कर दी।

कुछ ही पलों में उसकी सिसकारियाँ निकलने लगीं।

जब मैंने देखा कि उसकी नींद खुल रही है तो मैंने उसके निप्पल को ज़ोर से काट लिया।
वो एकदम सकपकाकर उछलकर बैठ गयी.

पहले उसने मुझे देखा फिर अपनी हालत को फिर चारों ओर देखा. उसने देखा कि सब लोग गहरी नींद सो रहे थे।
तब उसकी जान में जान आई।

मैंने उसके होंठों पर ज़ोर से चुम्बन किया और उसे अपने पीछे आने का इशारा किया।
उसने अपने कपड़े ठीक किये और मेरे पीछे चल दी।

मैं उसको लेकर ऊपरी तल में बने भण्डार में ले आया। घर के सारे लोग बड़ी गहरी नींद में सो रहे थे तो वहाँ किसी के आने की कोई सम्भावना नहीं थी।

मैंने उसे इत्मीनान से पूरी नँगी किया। सबसे पहले उसके लहँगे का नाड़ा ढीला किया तो लहँगा नीचे सरक गया। फिर उसकी चोली को उसके जिस्म से अलग कर दिया।
अब वह केवल पैंटी में थी।

आहिस्ते से मैंने उसकी पैंटी भी सरकाकर उसके जिस्म से अलग कर दी।

पहली बार मैंने उसको ठीक से निहारा. गेहुँआ रंग, तराशा हुआ गदराया बदन।

मैंने एक तख्त को साफ करके उस पर कुछ बोरियाँ बिछा दीं तथा एक पल्ली डाल दी ताकि उस पर आराम से चुदाई कर सकूँ।

चुदाई में मैं कोई जल्दबाजी नहीं करता। बहुत प्यार से हौले से चुदाई करता हूँ, जो भी औरत मुझसे एक बार चुदवा लेती है वह मेरी मुरीद बन जाती है।

मैं तख्त पर बैठ गया उसे झुकाकर उसके होंठ अपने मुँह में लिए और उन्हें चूसने लगा।

मैं बैठा था, मेरे होंठों में अपने होंठ देने के लिए उसे झुकना पड़ा था तो मैंने उसकी पीठ से अपने दोनों हाथ फिराता हुआ उसकी गांड तक ले गया।
फिर मैंने उसे पीछे घूमने को कहा।
वह पीछे घूम गयी तो मैंने उसकी गांड की गोलाइयों अच्छी तरह महसूस किया।

फिर मैं उससे चिपक गया और उसकी बुर में उँगली डाल दी।

इसी समय उसने मुझसे अपना लण्ड दिखाने को कहा।
मैंने भी अपनी पैंट और चड्ढी उतारी और उसको अपना तना हुआ तम्बू दिखाया। बड़े गौर से उसने मेरे लण्ड को देखा तो मैंने उससे चूसने के लिए कहा।
उसने मना तो किया पर उसमें उतनी झिझक नहीं थी. मेरे थोड़ा ज़ोर देने पर वह मान गयी।

उसने मेरा लण्ड अपने मुँह में रखा और धीरे-धीरे चूसने लगी। थोड़ी देर उसका मुँह चोदने के बाद मुझे लगा कि मेरा निकलने वाला है। मैंने उसका सिर कसकर पकड़ लिया और धक्के तेज़ कर दिए और उसके मुँह में ही झड़ गया।

उसने बहुत कोशिश की पर जब तक उसने मेरा सारा माल निगल नहीं लिया तब तक मैंने उसको अपना लण्ड उसके मुँह से निकालने नहीं दिया।
अपने माल की अन्तिम बूँद भी उसकी जीभ में पौंछकर ही मैंने अपना लण्ड उसके मुँह से निकाला।

मेरी इस हरकत से वह बहुत गुस्सा हो गयी और मुझे गुस्से से देखने लगी।
रूठने-मनाने का समय नहीं था इसलिए मैंने अपना काम जारी रखा।

मैंने उसको अपनी गोद में बैठा लिया और उसके होंठों को चूमने लगा। इसी के साथ उसकी बुर में उँगली करके उसकी वासना को जगाने लगा।

थोड़ी ही देर में उसने सब कुछ भूलकर अपनी टाँगें फैला दीं और तेज़ सिसकारियां लेने लगी। हम दोनों चूमते हुए अपनी जीभें भी आपस में लड़ा रहे थे।
वह कसकर मुझसे लिपट गयी और ‘डाल दो’, ‘और मत तड़पाओ’, ‘मुझे अपना बना लो, प्लीज़’ कहकर बड़बड़ाने लगी. अपने हाथ से मेरा लण्ड कसकर पकड़कर दबाने लगी।

मैंने उस पर दया करते हुए उसको लिटाया और पैर फैलाने को कहा।
वह अपने पैर फैलाकर लेट गयी।
मैंने उसकी बुर के द्वार पर अपना लण्ड सेट किया और उससे पूछा- तैयार हो?
उसने भी तड़पकर जवाब दिया- हाँ आंआअ!

एक धक्का लगाया मैंने तो उसकी बुर में आधा लण्ड उतर गया, उसके मुख से घुटी हुई चीख निकली- उई माँ आ अ अ स्स!
मैंने और धक्का कसकर लगाया तो मेरा लण्ड उसकी बुर की झिल्ली फाड़ता हुआ अंदर घुस गया।

इस बार वह बहुत ज़ोर से चीखी- मम्मी ईईई … मैं मर गयी ईईई।

घर में किसी के जागने की कोई सम्भावना नहीं थी इसलिए मैंने उसका मुँह बन्द करने का कोई प्रयास नहीं किया। मैंने उसकी तरफ देखा तो उसकी दोनों आँखों से जलधारा गिर रही थी।
मैं उसी हालत में उसके ऊपर लेट गया, उसकी चूचियों को चूसने लगा।

एक ही मिनट में उसने अपनी पीड़ा भूलकर मेरा सिर अपनी छाती से चिपकाने लगी। इसके साथ ही उसने अपनी गांड हिलाकर शुरू करने का इशारा किया।

मैंने धक्के लगाने शुरू किये और 15 मिनट तक उसे बेदर्दी से चोदा। इस दौरान उसने मुझे अपने आलिंगन में कसा हुआ था. वो लगातार बड़बड़ाये जा रही थी- आह … मेरे अभिनव … करते रहो! बहुत अच्छा लग रहा है।

15 मिनट में वह दो बार झड़ चुकी थी पर मेरा नहीं निकला था।

तब मैंने उसको घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी बुर में लण्ड सेट किया और एक ही झटके से उसकी बुर में लण्ड उतार दिया।
मेरे धक्कों से उसकी चूचियाँ भी बुरी तरह हिल रही थीं जिन्हें मसल-मसलकर मैं उसकी वासना बढ़ा रहा था।

इस दौरान वह एक बार और झड़ गयी। तभी मेरा भी होने को आया तो मैंने उससे पूछा- कहाँ निकालूँ?
पर उसने सुना नहीं, मैंने फिर पूछा पर उसने फिर भी नहीं सुना। वह आँख बंद किये लगातार बड़बड़ाये जा रही थी।

जब मैंने देखा कि और नहीं रोक सकता अब मेरा छूट ही जायेगा तो मैंने सोचा कि बुर में ही छोड़ूँगा तो कहीं गर्भ न ठहर जाए। यह सोचकर मैंने उसकी बुर से लण्ड निकाला और उसको पीठ के बल लिटा दिया।

उसकी आँखें अभी भी बन्द थीं। मैंने 69 वाले पोज़ में आकर उसके मुँह में फिर से अपना लण्ड पेल दिया और उसके मुँह में ही झड़ गया।
मैं उसकी बुर को नहीं चाट रहा था बस अपने हाथों से उसे सहला रहा था।

वो अपने मुँह से लण्ड निकालने के लिए छटपटा रही रही और अपने हाथों से मेरी जाँघ को मार रही थी पर मैंने उसे नहीं निकाला।
फिर से उसे मेरा माल पीना ही पड़ गया।

उसे फिर से गुस्सा आ गया था तो मैंने उसे अपने गले से लगाकर बहुत कसकर चिपका लिया.
मैंने उससे कहा- आज से तुम बस मेरी हो! जल्दी ही तुम्हारे गाँव आकर मैं तुम्हारी चुदाई करूँगा।
इस बात से वह खुश हो गयी और मुझसे चिपक गयी।

बहुत देर तक हम दोनों नंगे एक दूसरे से चिपके पड़े रहे।

इस दौरान उसने चाटकर मेरा पूरा लण्ड साफ किया और उससे खेलती-चूमती रही। फिर मैंने उसे उसका खून दिखाया जो उसकी सील टूटने पर निकला था।

थोड़ी देर बाद उसने मेरा लण्ड फिर से हिला-हिलाकर खड़ा किया।

मैंने मिनी की गांड मारने के इरादे से इस बार अपना लण्ड उसकी गांड के छेद में सेट किया और अंदर डालने के लिए धक्का मारा।
वह दर्द से बिलबिला उठी।

फिर से दोबारा प्रयास करने पर भी उसे बहुत जोर का दर्द हुआ। फिर उसके बाद वह गांड में लण्ड लेने को तैयार नहीं हुई।
मैंने भी उसके बाद ज़ोर नहीं दिया और उससे कहा- जब मैं तुम्हारे घर आऊँगा तब तुम्हारी गांड ज़रूर मारूँगा।

फिर उसके बाद मैं ऐसा मुँह बनाकर बैठ गया मानो मुझे बहुत बुरा लग गया हो।

यह देखकर मिनी मेरे पास आई और मुझे लिटाकर मेरे लण्ड को अपने हाथ से अपनी बुर पर सेट करके बैठ गयी। पूरा लण्ड एक झटके से उसकी बुर में उतर गया। अपनी कमर हिला-हिलाकर उसने पूरी मस्ती से चुदाई करी।

आधे घण्टे की चुदाई के बाद मैंने उसे बताया- मेरा होने वाला है.
तो उसने नशीली निगाहों से मुझे देखा और मेरा लण्ड अपने मुँह में लेकर उसे चूसने लगी।
इस बार वो बहुत अच्छे से चूस रही थी। सारा माल अपने मुँह में लेकर पी गयी और मेरा लण्ड भी चाटकर साफ कर दिया।
इससे मुझे बहुत हैरत हुई।

अब तक हम लोगों को दो घण्टे से ज़्यादा समय हो गया था। अब कोई जाग भी सकता था तो हम उठे और अपने-अपने कपड़े पहनकर बैठ गए।

एक दूसरे को अपने आगोश में लिए हम बात कर रहे थे।
इस पूरे दौरान मेरा हाथ या तो मिनी की चूचियों पर होता या उसके लहँगे के अंदर उसकी चड्डी पर।
उसने मुझसे पूछा- मेरे गाँव कब आओगे?

मैंने उसके होंठ चूसते हुए कहा- एक हफ्ते के भीतर आ सकता हूँ यदि जैसा मैं कहूँ वैसा तुम करो तो।

मिनी ने मुझसे लिपटकर कहा – जी, करूँगी। जैसा कहोगे वैसा करूँगी।

मैंने उसको समझाया- जब वापस जाना तो यह लहँगा और कुछ और ज़रूरी सामान यहीं छोड़ जाना। दो दिन के बाद फोन करके उसे जल्दी भिजवाने को कह देना।

मिनी ने पूछा- पर इतने भर से अपना मिलन कैसे होगा?

मैंने अपना हाथ उसके लहँगे के अंदर उसकी चड्डी में डालकर उसकी बुर को दबाते हुए कहा- मेरी जान, तुम बस इतना करो और बाकी सब मेरे ऊपर छोड़ दो। लेकिन वहाँ तुम्हारी गांड ज़रूर मारूँगा यह ध्यान रखना।

वो मुस्करा दी पर बोली कुछ नहीं।

इसके बाद हम दोनों फिर मस्ती में डूब गए। उसने मेरी चेन खोलकर मेरा लण्ड बाहर निकाल लिया और उसे चूमने लगी।
शायद उसे मेरे वीर्य का स्वाद पसंद आने लगा था।

उसके चूमने चाटने की वजह से लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
अब क्या करें? कपड़े पहन चुके थे तो चुदाई नहीं हो सकती थी। मैंने मिनी के लहँगे को ऊपर किया और उसके ऊपर लेट गया।

मिनी की चड्डी बिना उतारे ही उसकी बुर के ऊपर अपना लण्ड घिसने लगा। बेशक मिनी मेरा पूरा साथ दे रही थी पर मज़ा नहीं आ रहा था।

तभी नीचे के खण्ड में लोगों की बातें करने की आवाज़ें सुनाई दीं। तो हम दोनों फिर अलग हो गए।

मैंने मिनी को नीचे भेज दिया और खुद कमरे की सफाई में जुट गया। बोरियाँ और पल्ली जिनमें मिनी का खून लग गया था, उन्हें मैं मकान के पीछे वाले कूड़ाघर में फेंक आया. और तख़्त पर पोंछा लगा दिया।
फिर मैं भी वहाँ से चला गया।

दोस्तो! आपको मेरी यह सच्ची चुदाई की स्टोरी कैसी लगी? मुझे मेल करके बताइयेगा।
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चुदाई की स्टोरी जारी रहेगी.
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चुदाई की स्टोरी का अगला भाग: शादी में मिली अनछुई चूत- 3



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